ये कौन सी शिवसेना है, ये कौन सी मराठी अस्मिता है?
- अभिमत
- 13 Sep 2020
जमाना कहां से कहां चला गया है और आप हैं कि पुरानी लीक को पकड़े बैठे हैं। हमें तो आज के साथ चलना है। देखते नहीं आजकल, गालिब, इकबाल, फ़ैज़, मजाज़ आदि की बातें कम, दुष्यंत, निदा फ़ाज़ली, नीरज,समीर,प्रसून आदि की अधिक करते हैं। कवि साहित्य और कला कैसे लॉबी की गुलाम है, सटीक चित्रण।
और पढ़ेंबुलबुल, नारीवाद की वही घंटी है जो अब विराट कोहली के घर से निकलकर देश के घर घर में बजने को आतुर है। फिल्म में अभिव्यक्ति की आजादी ने पितृसतात्मक सत्ता पर गहरी चोट की है। लेकिन देश के मंगिना मर्द क्या इस पितृसतात्मक सत्ता को मुहतोड़ जवाब देने के लिए थोडा बहुत अतिशय भयंकर महानारीवाद का जहर भी नहीं पी सकते?
और पढ़ेंउत्साही लोगों की एक टीम डिजिटल दुनिया में उत्तरदायी समाचार और नवीनतम अपडेट ला रही है
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